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उर्दू किसी खास धर्म की जुबान नहीं, भारतीय तहजीब का प्रतीक है- अंजुमन उर्दू के सम्मेलन में बोले मंत्री इरफान अंसारी  

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रांची
अंजुमन तरक्की उर्दू हिन्द, झारखंड का पहला राज्य सम्मेलन पुरानी विधानसभा, रांची में आयोजित किया गया। सम्मेलन के पहले सत्र की अध्यक्षता राष्ट्रीय सचिव अतहर फारूकी ने की, जिसमें सम्मेलन के कंवेनर एम. जेड. खान ने कंवेनर रिपोर्ट प्रस्तुत की। इस रिपोर्ट में अंजुमन की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि पर प्रकाश डाला गया। इस सत्र के विशिष्ट अतिथि झारखंड सरकार के स्वास्थ्य मंत्री इरफान अंसारी थे। उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि उर्दू किसी विशेष धर्म से नहीं जुड़ी, बल्कि यह एक भारतीय भाषा और तहजीब का प्रतीक है। उन्होंने उर्दू को उसका उचित सम्मान न मिलने पर चिंता जताई और कहा कि इस भाषा से प्रेम करने वालों की संख्या कम नहीं है। उन्होंने उर्दू शिक्षा को बढ़ावा देने पर भी बल दिया। इस सत्र में जालिब वतनी की पुस्तक "उड़ान" का विमोचन किया गया। इस अवसर पर सुशील साहिल (गोड्डा), मुफ्ती सईद आलम (गिरिडीह), हसन निज़ामी (धनबाद), जफरुल्लाह सादिक (हजारीबाग), जमशेद कमर (रांची) आदि ने अपने विचार व्यक्त किए। भारतीय संविधान की प्रस्तावना उर्दू भाषा में डॉ. मोहम्मद रेहाना अली ने प्रस्तुत की।


उर्दू के विकास पर जोर
सभा को संबोधित करते हुए सुभाषिनी अली ने कहा कि उर्दू को उसकी सही पहचान तक पहुंचाने के लिए ठोस प्रयासों की जरूरत है। उन्होंने कहा कि उर्दू को केवल मुसलमानों की भाषा समझना एक बड़ी गलतफहमी है। इस भाषा की तरक्की के लिए इसे आर्थिक व्यवस्था से जोड़ने की जरूरत है और इसे जनप्रिय बनाने के लिए अधिक प्रयास करने होंगे। उन्होंने उर्दू साहित्य को अन्य भाषाओं में अनुवादित करने की आवश्यकता पर भी जोर दिया।
दूसरे सत्र की अध्यक्षता डॉ. यासीन अंसारी ने की, जबकि संचालन एम. जेड. खान ने किया। इस सत्र में सांसद महुआ माजी ने कहा कि हिन्दी और उर्दू का संबंध "मां और मौसी" की तरह है। सम्मेलन में झारखंड के 22 जिलों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।


इस सत्र में उर्दू से संबंधित 13 प्रस्ताव पारित किए गए, जिनमें मुख्य रूप से:
•    साहित्य एवं उर्दू अकादमी का गठन
•    उर्दू सेल और उर्दू निदेशालय की स्थापना
•    उर्दू शिक्षकों के रिक्त पदों पर नियुक्ति जैसे महत्वपूर्ण मुद्दे शामिल थे।
साहित्यकारों की भागीदारी
इस कॉन्फ्रेंस में उर्दू और हिंदी के कई प्रतिष्ठित साहित्यकारों ने भाग लिया, जिनमें प्रमुख नाम शामिल हैं:
वीना श्रीवास्तव, अपराजिता, एम. एल. सिंह, के. के. सिंह, सुशील साहिल, रेहाना, नजमा नाहिद, आलम आरा, फरहत जहां, शाजिया शबनम, डॉ. अंजार, मो. शकील, शोएब, कनक चौधरी आदि। यह सम्मेलन झारखंड में उर्दू भाषा और साहित्य को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम था। वक्ताओं ने उर्दू को नई पीढ़ी तक पहुंचाने, इसे शिक्षा प्रणाली में मजबूत करने और सामाजिक-आर्थिक विकास से जोड़ने की आवश्यकता पर बल दिया। सम्मेलन के दौरान उर्दू भाषा को अधिक मान्यता दिलाने के लिए विभिन्न सुझाव और संकल्प पारित किए गए। उल्लेखनीय है कि अंजुमन की स्थापना 1882 में हुई थी, और इससे महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू, मौलाना अबुल कलाम आजाद, शिबली नोमानी जैसे महान विभूतियों का संबंध रहा है।


 

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